सिया राम छवि मन बसे,ऐसा करो विचार,
निराकार में देख
लो, राम रूप साकार l
सुयश राम का
काव्य है, कवि बनना आसान
बिन प्रयास लिख
जायगा,उनका सब गुण गान l
अब तक
जिसने भी लिखी,राम कथा निस्वार्थ,
पाया
उसने परम पद, हुआ
यही चरितार्थ l
तन्त्र मन्त्र सब व्यर्थ हैं, राम भजन है सार,
करके तो देखो स्वयम, पाओ स्वच्छ विचार l
राम स्वयम आते वहाँ, भक्त करें जब याद,
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