Friday, 25 November 2022

 मिथ्या आग्रह, कटुवचन, करे तीर का काम,

   स्वाभाविक यह प्रतिक्रया, उल्टा हो परिणाम

धन संग्रह नहिं धर्म से, उसका करिये त्याग,

यथा सर्प  की  केचुली, नहीं  लगेगा  दाग l

  धर्म पन्थ में बाँट कर, हमें किया बर्वाद,

  ऐक नहीं  होने  दिया, उपजा वादविवाद l

वे दोनों तो ऐक हैं, क्या रहीम क्या राम,

हम  में  ही  दुर्बुद्धि है, इसीलिये कुहराम l

   मिटटी की यह देह है, सब में ज्योति समान,

  क्या हिन्दू, क्या मुसलमा, क्यों  होते  हैरान l 

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