Tuesday, 3 January 2023

 

भाँग, तमाखू ,सुरा का, उतरे नशा प्रभात,

राम नाम का नशा हैं, जो रहता दिनरात l

    उनकी कृपा अपार  है, उनकी  है सौगात,

   तुम भी भज लो राम को, मानो मेरी बात

   

अंधे  देखें  कृपा से, मूक  बनें  वाचाल,

राम कृपा से पंगु भी,गिरिवर चढ़ें विशाल l

     जिसकी जैसी भावना, वैसे  उसके राम,

     श्रृद्धा हम उन पर करें,बिगड़े बनते काम l

जगन्नाथ  श्री राम  हैं, जगत  पसारे हाथ,

निस्प्रह हो कर जो भजे, राम उन्हीं के साथ l

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