भाँग, तमाखू ,सुरा का, उतरे नशा प्रभात,
राम नाम का नशा हैं, जो रहता दिनरात l
उनकी कृपा अपार
है, उनकी है सौगात,
तुम भी भज लो राम को, मानो मेरी बात
अंधे
देखें कृपा से, मूक बनें
वाचाल,
राम कृपा से पंगु भी,गिरिवर चढ़ें विशाल l
जिसकी
जैसी भावना, वैसे उसके राम,
श्रृद्धा हम उन पर करें,बिगड़े बनते काम l
जगन्नाथ श्री राम हैं, जगत पसारे हाथ,
निस्प्रह हो कर जो भजे, राम उन्हीं के साथ l
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