आदर स्वागत गाँव को, मिलन सार व्योहार,
ईश्वर रुपी पावनो, मानत नइयां भार l
रूखो सूखो जो जुरत, विनय भाव से लेत,
टीका हरदी चांउर को, माथे पे कर देत l
खुस हो कें जेहे घरे, मन में जो विश्वास,
बुरो कबहु नहीं मान है, ऐसी राखत आस l
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