लू
में आवे पाउनो,
होवे बो बेहाल,
आमंन को
बन है पनो, हो जे है खुशहाल l
आबे कोनउ पावनो, बिडई बने बा रोज,
बेसन को मीड़ा बने, ऐसो नोनो
भोज l
आंवरे को आँवरिया,
हिंगोरा को स्वाद,
बरी, मिथोरी बन गई, जीवन भर रय याद l
सकर कंद खों भूज कें, लस्सी,हलुआ खाय,
सत्यव्रती वे
ही बनें, जो भूखें सो जाँय l
सबई तीज त्यौहार पे, बने कढ़ी
संग भात,
छप्पन व्यंजन सो लगे, गोरस संग में खात l
No comments:
Post a Comment