Friday, 6 January 2023

 तार तार ही हो रहे, अब सितार के तार,

      ऐसे घर  भी कलह से, हो  जाता बेजार l

मात, पिता को बाँटते, कैसे  हो निर्वाह,

कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह l       

 बंटबारा ऐसा किया, हुई परिस्थिति दास,

 माता रक्खें आप ही, पिता  हमारे पास l

पास पड़ोसी कह रहे, देख  हमारे ढंग,

देखो इनके भी हुये, चेहरे अब भदरंग l

 तार तार ही हो रहे, अब सितार के तार,

      ऐसे घर  भी कलह से, हो  जाता बेजार l

मात, पिता को बाँटते, कैसे  हो निर्वाह,

कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह l       

 बंटबारा ऐसा किया, हुई परिस्थिति दास,

 माता रक्खें आप ही, पिता  हमारे पास l

पास पड़ोसी कह रहे, देख  हमारे ढंग,

देखो इनके भी हुये, चेहरे अब भदरंग l

 तार तार ही हो रहे, अब सितार के तार,

      ऐसे घर  भी कलह से, हो  जाता बेजार l

मात, पिता को बाँटते, कैसे  हो निर्वाह,

कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह l       

 बंटबारा ऐसा किया, हुई परिस्थिति दास,

 माता रक्खें आप ही, पिता  हमारे पास l

पास पड़ोसी कह रहे, देख  हमारे ढंग,

देखो इनके भी हुये, चेहरे अब भदरंग l

 तार तार ही हो रहे, अब सितार के तार,

      ऐसे घर  भी कलह से, हो  जाता बेजार l

मात, पिता को बाँटते, कैसे  हो निर्वाह,

कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह l       

 बंटबारा ऐसा किया, हुई परिस्थिति दास,

 माता रक्खें आप ही, पिता  हमारे पास l

पास पड़ोसी कह रहे, देख  हमारे ढंग,

देखो इनके भी हुये, चेहरे अब भदरंग l

 तार तार ही हो रहे, अब सितार के तार,

      ऐसे घर  भी कलह से, हो  जाता बेजार l

मात, पिता को बाँटते, कैसे  हो निर्वाह,

कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह l       

 बंटबारा ऐसा किया, हुई परिस्थिति दास,

 माता रक्खें आप ही, पिता  हमारे पास l

पास पड़ोसी कह रहे, देख  हमारे ढंग,

देखो इनके भी हुये, चेहरे अब भदरंग l

 तार तार ही हो रहे, अब सितार के तार,

      ऐसे घर  भी कलह से, हो  जाता बेजार l

मात, पिता को बाँटते, कैसे  हो निर्वाह,

कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह l       

 बंटबारा ऐसा किया, हुई परिस्थिति दास,

 माता रक्खें आप ही, पिता  हमारे पास l

पास पड़ोसी कह रहे, देख  हमारे ढंग,

देखो इनके भी हुये, चेहरे अब भदरंग l

 

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