तार तार ही हो रहे, अब सितार के तार,
ऐसे घर
भी कलह से, हो जाता बेजार l
मात, पिता को बाँटते, कैसे हो निर्वाह,
कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह l
बंटबारा
ऐसा किया, हुई परिस्थिति दास,
माता
रक्खें आप ही, पिता हमारे पास l
पास पड़ोसी कह रहे, देख हमारे ढंग,
देखो इनके भी हुये, चेहरे अब भदरंग l
ऐसे घर
भी कलह से, हो जाता बेजार l
मात, पिता को बाँटते, कैसे हो निर्वाह,
कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह l
बंटबारा
ऐसा किया, हुई परिस्थिति दास,
माता
रक्खें आप ही, पिता हमारे पास l
पास पड़ोसी कह रहे, देख हमारे ढंग,
देखो इनके भी हुये, चेहरे अब भदरंग l
ऐसे घर
भी कलह से, हो जाता बेजार l
मात, पिता को बाँटते, कैसे हो निर्वाह,
कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह l
बंटबारा
ऐसा किया, हुई परिस्थिति दास,
माता
रक्खें आप ही, पिता हमारे पास l
पास पड़ोसी कह रहे, देख हमारे ढंग,
देखो इनके भी हुये, चेहरे अब भदरंग l
ऐसे घर
भी कलह से, हो जाता बेजार l
मात, पिता को बाँटते, कैसे हो निर्वाह,
कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह l
बंटबारा
ऐसा किया, हुई परिस्थिति दास,
माता
रक्खें आप ही, पिता हमारे पास l
पास पड़ोसी कह रहे, देख हमारे ढंग,
देखो इनके भी हुये, चेहरे अब भदरंग l
ऐसे घर
भी कलह से, हो जाता बेजार l
मात, पिता को बाँटते, कैसे हो निर्वाह,
कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह l
बंटबारा
ऐसा किया, हुई परिस्थिति दास,
माता
रक्खें आप ही, पिता हमारे पास l
पास पड़ोसी कह रहे, देख हमारे ढंग,
देखो इनके भी हुये, चेहरे अब भदरंग l
ऐसे घर
भी कलह से, हो जाता बेजार l
मात, पिता को बाँटते, कैसे हो निर्वाह,
कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह l
बंटबारा
ऐसा किया, हुई परिस्थिति दास,
माता
रक्खें आप ही, पिता हमारे पास l
पास पड़ोसी कह रहे, देख हमारे ढंग,
देखो इनके भी हुये, चेहरे अब भदरंग l
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