बुन्देली व्यंजन बनें, मने तीज त्यौहार,
बोलें
बुन्देली सबई, बुन्देली व्योहार l
ज्वार,
बाजरा मलीदा, घी, गुड के संग खाय,
खा केँ सुस्ता लो जरा, जाड़ो खुद भग जाय l
बथुआ, मेथी, नोरपा, बेगन भर्ता
खाय,
केंथा की चटनी मिले, स्वाद दो गुनों पाय
मठा,महेरी खाय जो, पाँच कोस लों जाय,
थोरो
थोरो गुड़ मिले, नहीं थकाबट पाय l
सतुआ घोरे थार में, गुड़ के संगे
खाय,
भरी दुफरिया में चले, पाउन नहीं थकाय l
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