फल देतें हैं सदा सभी को, वृक्ष नहीं कुछ खाते,
धरती को सिंचित करते ही,बादल फिर उड़ जाते l
प्यास बुझाती प्यासे की ही, सरिता लब जल पीती,
पर उपकारी जो होते हैं, धन्य वही हो पाते l
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