सभी चाहते सदा करें सब, उनकी ही अनुशंसा,
उनको चाटुकार ही घेरें, रहती ऐसी मंशा l
हर बुराई पर परदा डालें, गाएं सब गुणगाथा,
सदा भली लगती है सबको, अपनी आत्म प्रशंशा l
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