उद्घोषक, युगद्दष्टा, सृष्टा, जन जन की पहिचान है,
स्वावलम्व, निर्देशक युग का, स्वर लय में सहगान है l
आजीवन निर्धन रह कर भी, सत्य रहा है सम्बल,
इसीलिये युग युग से कवि को, मिला सदा सम्मान है l
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