राज तिलक जब सुना राम ने, तभी हुये वनवासी,
लक्ष्मण क्या पीछे रह सकते, बने राम विश्वासी l
सीता कैसे साथ छोड़ती, सुख वैभव को त्यागा,
सुन कर राम गये हैं वन में, भरत बने सन्यासी l
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