गुण विशेष होता है कवि में,वह भरता गागर में सागर,
सरल प्रकृति का प्राणी जग में,करुणा का ही है आगर l
नहीं सत्य छोड़ा है उसने, रही कल्पना साथ उसी के,
इसीलिये कवि जिन्दा रहता, प्रतिभा होती सदा उजागर l
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