होली
लिये सस्नेह हाथों में,
लगाओ प्रेम का टीका,
जला कर बैर होली में,
बढाओ प्रीति पावन तुम |
बढ़ें नजदीकियाँ हम में,
रहे उत्साह सबके मन,
फिलें चेहरे, प्रफुल्लित मन,
भुलादें भेद सारे हम |
नहीं शिकवे शिकायत हों,
गले मिल जाँय हम सबसे,
विनय है ईश से मेरी,
हमें सद बुद्धि ऐसी दे
No comments:
Post a Comment