दोष दूसरों के मत देखो, झाँको अपने अन्दर,
मिथ्या अंहकार बढ़ जाता, क्रोध, घृणा आते घर |
देखो तुम अपने दोषों को, स्वयं सुधर जाओगे,
सामजिक अपराधी कोई, दण्ड दिलाओ जी भर |
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