पर्यावरण—
वृक्ष हों तो स्वच्छ हो वातावरण,
दूर कर
दें छा गया जो आवरण l
“ऐक पुत्र
सो वृक्ष” यही नारा हो,
हम बदल
सकते तभी पर्यावरण l
सो
वृक्षों से तुलना करते, होते पुत्र समान.
नगर
प्रदूषण ही खो देगा, मानव की पहिचान l
आज समय के साथ चेतना भी आवश्यक,
ताप बढ़ा
धरती का तो फिर, होंगे सब हैरान l
पर्यावरण
स्वच्छ रक्खें, सब पेड़
लगायें,
घर का
कचरा एकत्रित कर, उसे जलाएं l
गोबर, मल
को करें
इकट्ठा खाद बनाएं,
रहें
स्वच्छ सब तो जीवन में हम सुख पायें l
पेड़ नहीं काटें, सब सुन लें, पेड़ सदा
सुखदायी,
अगर काटना, लगें दस गुना, होंगे यह
फलदायी |
दूषित वायु सोख लेते हैं, प्राण वायु हम
सबको देते,
इसका लाभ उठा सकते हम, मान सको होगी
भरपाई |
जितने ऊँचे वृक्ष लगेंगे, उतने लगें
सुहावन,
करें बादलों को आकर्षित,फल मिलता है
पावन |
वर्षा हो
भरपूर यहाँ पर, उत्तम खेती होगी,
पर्यावरण स्वच्छ हो जाए, मौसम हो मन
भावन |
रहें प्रदूषण मुक्त फेक्टरी, ऐसे यन्त्र
लगायें,
बने नगर से दूर तभी तो, मानव सब सुख
पायें |
डीजल का उपयोग न्यूनतम, होगा यह सुख दाई,
उचित
सलाह लगे तो मानो, चेहरे सब मुस्काएं |
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