भृष्टाचार मिटाना हमको, यह ले लें संकल्प,
हर कीमत पर इसे हटाना, कोई नहीं विकल्प,
कोढ़ सरीखा है यह जग में, नहीं इसे पनपायें,
अधिक बढ़ गया तो फिर सोचो,होगा कोई प्रकल्प ?l
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