उसने जो कुछ दिया बहुत है, बस उससके गुण गायें,
ऊपर क्यों? नीचे को देखें, फिर मन को समझायें |
हमसे जो भी गुणी योग्य है, उससे ही कुछ सीखें,
सन्तोषी रह, अंहकार तज, आदर भाव जतायें |
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