धर्म नित्य,सुख दुख अनित, नहीं रहेगा दोष,
छोड़
अनित,नित में रहे, तो मिलता सन्तोष l
मिथ्या आग्रह, कटुवचन, करे तीर का काम,
स्वाभाविक यह प्रतिक्रया, उल्टा हो परिणाम |
धर्म नित्य,सुख दुख अनित, नहीं रहेगा दोष,
छोड़
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मिथ्या आग्रह, कटुवचन, करे तीर का काम,
स्वाभाविक यह प्रतिक्रया, उल्टा हो परिणाम |
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मिथ्या आग्रह, कटुवचन, करे तीर का काम,
स्वाभाविक यह प्रतिक्रया, उल्टा हो परिणाम |
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छोड़
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मिथ्या आग्रह, कटुवचन, करे तीर का काम,
स्वाभाविक यह प्रतिक्रया, उल्टा हो परिणाम |
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स्वाभाविक यह प्रतिक्रया, उल्टा हो परिणाम |
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