जीवन
जन्म तिथि ३दिसम्बर १९३६
जीवन का पल पल अब बीत रहा,
यह घट भी धीरे से रीत रहा |
जीवन में क्या मैंने पाया है,
सच पूँछो मधुमय संगीत रहा |
बचपन में न्यारा संसार रहा,
सबका ही लाड प्यार,स्नेह रहा |
सबसे आशीष वचन पाया था,
सच में वह मेरा नवनीत रहा |
खुली सी किताब रही बचपन की,
बांची पर किसने इस यौवन की |
बदली तो घिरती थी घुमड़ घुमड़,
बिन बरसे रीत गईं सावन की |
यौवन ने जीवन में
दर्द सहा,
सुख, दुख में सांझा व्यवहार रहा |
अनगिनते कामों का बोझ रहा,
संग मगर मेरे
मनमीत रहा |
लोगों ने चाहा
मैं मिट जाँऊ,
भँवर में किनारा
कैसे पाँऊ |
मन्जिल थी दूर मगर जाना था,
अपना उद्देश्य मुझे
पाना था |
उलझ रहे प्रश्नों
ने घेर लिया,
अन्तिम लड़ाई, पर
जीत रहा |
अब तो सन्नाटा है जीवन में,
फिर भी उत्साह भरूं जन जन में,
जीवन में बहुत
दूर जाना है,
शेष जो, सफलता को पाना है |
दूर हुईं, मेरी
कठनाईयां,
लगता है मेरा मन जीत रहा |
अभिलाषा उससे बस मिलने की,
कमल दल सौन्दर्य रूप खिलने की |
सोचा है अपना
सब खो जाँऊ,
अपने आराध्य को
मैं पा जांऊ |
पूरी कब होती
हैं इच्छायें,
अनसुलझे प्रश्न सा अतीत रहा |
तन का यह पंछी कब उड़ जाये,
जानेगा कौन? क्या पकड़ पाये ?
भौतिक इच्छायें, सब पूरी
हैं,
साध नहीं कोई
जो अधूरी है |
चढ़ लीं हैं मैंने सब ऊँचाईयां,
साथी बस, मेरा तो गीत रहा |
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