पाप पुण्य के गणित को, समझ सका है कौन,
मन चाही है व्यवस्था, शास्त्र हुये हैं मौन l
पंथों ने बाँटा हमें, द्वैत और अद्वैत,
ईश्वर सत्ता ऐक है, प्राणी अब तू चेत l
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