पर निन्दा
से जो बचा, रक्खा जिसने मौन,
तन मन जिसका शुद्ध है, उससे
बढ़ कर कौन l
चोरी,असत विचार को, सभी मानते पाप,
सत्य
आचरण श्रेष्ठ है, नहीं रहे संताप l
पर निन्दा से जो बचा, रक्खा जिसने मौन,
तन मन जिसका शुद्ध है, उससे
बढ़ कर कौन l
चोरी,असत विचार को, सभी मानते पाप,
सत्य
आचरण श्रेष्ठ है, नहीं रहे संताप l
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