बुधि विवेक युत मित्र हो,जिसे शास्त्र का ज्ञान,
संकट में निस्वार्थ जो, मित्र उसी को मान l
जो कृतज्ञ,संयम प्रमुख, हो संकल्प महान,
जिसकी जो सामर्थ हो. उतना करिये दान l
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