हीरा, मोती, स्वर्ण भी, सब धन हैं बेकार,
मन में हो सन्तोष धन,मिलता सुख यह सार l
भीख माँगना पाप है, इसे बताते लोग,
अतिथि मान कर दीजिये, जुड़े कभी संयोग l
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