निराकार तू है प्रभु, नहीं किन्तु अनजान,
तुझको पा सकते सभी, क्यों होते हैरान |
जनक सरीखा बन सकूं, कृपा करो भगवान,
विषय,भोग में लिप्त हूँ, छूट सके तो मान |
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