होली
लिये सस्नेह हाथों में,
लगाओ प्रेम का टीका,
जला कर बैर होली में,
बढाओ प्रीति पावन तुम |
बढ़ें नजदीकियाँ हम में,
रहे उत्साह सबके मन,
फिलें चेहरे, प्रफुल्लित मन,
भुलादें भेद सारे हम |
नहीं शिकवे शिकायत हों,
गले मिल जाँय हम सबसे,
विनय है ईश से मेरी,
हमें सद बुद्धि ऐसी दे |
गले मिल जाँय हम सबसे,
नहीं हो कोई मन में भय,
नहीं शिकवे शिकायत हो,
मने त्यौहार मंगलमय |
रहे अब भाई चारा ही,
मनायें आज पावन पर्व,
सदा हों आप हर्षित मन,
सफल हो आप से परिचय |
पावनपर्व पर शुभ कामनाएं डा. हरिमोहन गुप्त
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