वृद्धापन सुख से कटे,घर में रहिये मौन,
आये, जाये कोई भी, नहीं पूछिए कौन l
जिह्वा सुख को त्यागिये, कम ही चखिए नोंन,
रोटी में सन्तोष हो, आधी हो या पोंन l
No comments:
Post a Comment