कितनी भी कठनाई हो, मिले नहीं आराम,
चुनना प्रतिनिधि है हमें, लें धीरज से काम |
बार बार समझा रहे, यह पुनीत का काम,
हम विवेक से काम लें, होगा जग में नाम.
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