बुद्धिमान है प्राणी जग में, सभी प्रशंसा करते,
लोभ, मोह के क्षणिक सुखों में, व्यस्त सदा क्यों रहते |
पापों का फल अवश मिलेगा, सभी जान कर, सोचें,
स्वार्थ छोड़, परमार्थ करो तुम, गुरुजन यह सब कहते |
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