आस्थाहीन
व्यक्ति का जग में, सच मानो कुछ मान
नहीं है,
पक्ष, विपक्ष उभय में बैठे, उसकी तो पहिचान
नहीं है |
कर्मठ, योग्य, साहसी ही तो, सम्मानित
होते हैं
जग में,
भिक्षा
माँग बड़ा हो कोई, समझो उसे
महान नहीं है |
हीआस्थाहीन व्यक्ति का जग में, सच मानो कुछ मान नहीं है,
पक्ष, विपक्ष उभय में बैठे, उसकी तो पहिचान
नहीं है |
कर्मठ, योग्य, साहसी ही तो, सम्मानित
होते हैं
जग में,
भिक्षा
माँग बड़ा हो कोई, समझो उसे
महान नहीं है |
हीआस्थाहीन व्यक्ति का जग में, सच मानो कुछ मान नहीं है,
पक्ष, विपक्ष उभय में बैठे, उसकी तो पहिचान
नहीं है |
कर्मठ, योग्य, साहसी ही तो, सम्मानित
होते हैं
जग में,
भिक्षा
माँग बड़ा हो कोई, समझो उसे
महान नहीं है |
हीआस्थाहीन व्यक्ति का जग में, सच मानो कुछ मान नहीं है,
पक्ष, विपक्ष उभय में बैठे, उसकी तो पहिचान
नहीं है |
कर्मठ, योग्य, साहसी ही तो, सम्मानित
होते हैं
जग में,
भिक्षा
माँग बड़ा हो कोई, समझो उसे
महान नहीं है |
आस्थाहीन व्यक्ति का जग में, सच मानो कुछ मान नहीं है,
पक्ष, विपक्ष उभय में बैठे, उसकी तो पहिचान
नहीं है |
कर्मठ, योग्य, साहसी ही तो, सम्मानित
होते हैं
जग में,
भिक्षा
माँग बड़ा हो कोई, समझो उसे
महान नहीं है |
आस्थाहीन व्यक्ति का जग में, सच मानो कुछ मान नहीं है,
पक्ष, विपक्ष उभय में बैठे, उसकी तो पहिचान
नहीं है |
कर्मठ, योग्य, साहसी ही तो, सम्मानित
होते हैं
जग में,
भिक्षा
माँग बड़ा हो कोई, समझो उसे
महान नहीं है |
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