हम समाज के ही सेवक हैं, यही तो है अपनी पहिचान,
रहें संगठित,उत्साहित हों, इसी से बढ़ता
अपना मान |
दीनों के प्रति
रहें समर्पित, पर उपकारी रहें हमेशा,
पालन करें श्रेष्ठ नियमों का, बनाएं ऐसा नया विधान
हम समाज के ही सेवक हैं,
यही तो है अपनी पहिचान,
रहें संगठित,उत्साहित हों, इसी से बढ़ता
अपना मान |
दीनों के प्रति
रहें समर्पित, पर उपकारी रहें हमेशा,
पालन करें
श्रेष्ठ नियमों का, बनाएं ऐसा नया
विधान |
हम समाज के ही
सेवक हैं, यही तो है अपनी पहिचान,
रहें संगठित,उत्साहित हों, इसी से बढ़ता
अपना मान |
दीनों के प्रति
रहें समर्पित, पर उपकारी रहें हमेशा,
पालन करें
श्रेष्ठ नियमों का, बनाएं ऐसा नया
विधान |
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