Monday, 14 October 2024

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जब विपत्ति आती है सिर पर, मन में चिंता, शोक, निराशा,

जब सम्पति आती है घर में, ईर्ष्या, द्वेष, मान की आशा |

तृष्णा बढती  ही  जाती  है, संग्रह को ब्याकुल होता मन,

सुख मिलना दूभर हो  जाता, धूमिल होती  है  अभिलाषा |

 

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