झूठ,कपट,छल से जिसने भी, धन वैभव को पाया,
भौतिक लाभ मिल
सका उसको,पर पीछे पछताया |
उसका पतन
अवश्यम्भावी, दुख उपजेगा
निश्चित,
मानव के अनुरूप कर्म हों, दूर हटेगी माया |
झूठ,कपट,छल से जिसने भी,
धन वैभव को पाया,
भौतिक लाभ मिल
सका उसको,पर पीछे पछताया |
उसका पतन
अवश्यम्भावी, दुख उपजेगा
निश्चित,
मानव के अनुरूप कर्म हों, दूर हटेगी माया |
भौतिक लाभ मिल
सका उसको,पर पीछे पछताया |
उसका पतन
अवश्यम्भावी, दुख उपजेगा
निश्चित,
मानव के अनुरूप
कर्म हों, दूर
हटेगी माया |
झूठ,कपट,छल से जिसने भी, धन वैभव को पाया,
भौतिक लाभ मिल
सका उसको,पर पीछे पछताया |
उसका पतन
अवश्यम्भावी, दुख उपजेगा
निश्चित,
मानव के अनुरूप
कर्म हों, दूर
हटेगी माया |
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