बर्तन होते चार, खनकते, किन्तु खनक बेकार,
सभी समस्याएं हल
होतीं, यह जीवन का सार |
केवल समझ समान
चाहिये, फिर क्यों हो तकरार ?
अग्रज हमको यही सिखाते, बाकी सब निस्सार |
सभी समस्याएं हल
होतीं, यह जीवन का सार |
केवल समझ समान
चाहिये, फिर क्यों हो तकरार ?
अग्रज हमको यही
सिखाते, बाकी सब निस्सार |
बर्तन होते चार, खनकते, किन्तु खनक
बेकार,
सभी समस्याएं हल
होतीं, यह जीवन का सार |
केवल समझ समान
चाहिये, फिर क्यों हो तकरार ?
अग्रज हमको यही
सिखाते, बाकी सब निस्सार |
No comments:
Post a Comment