मन के भीतर ज्ञान रूप में, परम तत्व का सदा निवास,
परम शान्ति पाता है प्राणी, सहज मुक्ति हो यह आभास |
सुख,दुख,हानि,लाभ,यश,अपयश, यही कर्म फल यह ही जान,
दुख, अशांति या क्लेश रहें क्यों? मन में हो उसका विश्वास |
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