Monday, 18 March 2024

तार तार ही हो रहे, अब सितार के तार,

             ऐसे घर  भी कलह से, हो  जाता बेजार l

 

     मात, पिता को बाँटते, कैसे  हो निर्वाह,

     कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह lतार तार ही हो रहे, अब सितार के तार,

             ऐसे घर  भी कलह से, हो  जाता बेजार l

 

     मात, पिता को बाँटते, कैसे  हो निर्वाह,

     कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह 

             lतार तार ही हो रहे, अब सितार के तार,

             ऐसे घर  भी कलह से, हो  जाता बेजार l

 

     मात, पिता को बाँटते, कैसे  हो निर्वाह,

     कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह 

             lतार तार ही हो रहे, अब सितार के तार,

             ऐसे घर  भी कलह से, हो  जाता बेजार l

 

     मात, पिता को बाँटते, कैसे  हो निर्वाह,

     कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह l 

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