स्तुति पा हर्षे नहीं, ना निन्दा सुन शोक,
दोनों में समभाव हो, वह महान इह लोक |
प्रभु की महिमा, नाम गुण, देखें सदा चरित्र,
श्रृद्धा से नित ही सुनें, भगवत कृपा पवित्र |
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