रुको नहीं बढ़ते चलो, मंजिल होगी पास,
तुम उंचाई छू सकोगे, मन में यदि विश्वास l
करते यदि हरि स्मरण, मिल जाता मनमीत,
अब पछताना व्यर्थ है, जुड़ी न उससे प्रीति l
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