निज हित जैसा चाहते, दो परहित भी मान,
जो दोगे सो पावगे, ज्यों का त्यों सम्मान |
भौतिक सुख में सुख नहीं, सच्चा सुख है दान,
निकल तिमिर अज्ञान से, मिल जाएँ भगवान |
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