मन में चिन्तन ईश का, नित्य करें गुणगान,
जो उसको सुमरे सदा, हृदय बसें भगवान |
निज हित जैसा चाहते, दो परहित भी मान,
जो दोगे सो पावगे, ज्यों का त्यों सम्मान |
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