आधी रोटी
खाइये,
रहे इरादा नेक,
तो पूरी तुम खावगे, आडम्बर तो फेक l
लोभ,मोह,
आलस्य, मद, पर निन्दा हैं दोष,]
जिज्ञासा,संयम,
लगन, ध्यान,शील, सन्तोष l]--
खाएं हरदम बाँट कर,
बोलें रसमय बोल,
प्रेम पगे,अति नम्र हो, यही धर्म अनमोल |
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