विकृति आये सोच में, मन में पनपे स्वार्थ,
कर्तव्यों से विमुख जो, कैसे हो परमार्थ l
बुद्धि हमारी तीर है, श्रम है सदा कमान,
उचित मार्ग दर्शन मिले, लक्ष्य बने आसन l
No comments:
Post a Comment