यदि घमण्ड बढ़ता कभी, होता नष्ट विवेक,
अहंकार बस छोड़ दो, यह सलाह है नेक l
धैर्य, धर्म , निर्भीकता, सभी बुलाएँ पास,
त्यागें यदि हम भीरुता, बने परिस्थिति दास l
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