Dr. Hari Mohan Gupta
Pages
Home
About Me
भजन
दोहा
गीत
ग़ज़ल
इंटरव्यू
मुक्तक
पुस्तकें
Contact Me
Friday, 11 May 2018
अंहकार तजो
सघन वृक्ष ही सदा उखड़ते, वेत सलामत सदा रही है,
सहज नम्रता और समर्पण, कारण बनता बात सही है l
पर्वत को भी चीर सकी है, सरिता अपनी राह बनाती,
अहंकार को तजो,सफलता मिलती है,यह बात कही है l
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment