सदा रहे निस्वार्थ भावना, हो जग का
कल्याण,
सतत साधना के ही बल पर,बनती निज पहिचान,
सतत साधना के ही बल पर,बनती निज पहिचान,
सहें यातना, किन्तु ह्रदय में, भारत
माँ का मान,
कर्मठ, सदा साहसी जग
में पाते हैं सम्मान
कर्मठ, सदा साहसी जग
में पाते हैं सम्मान.
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