नदी अन्त तक रहती है गतिमान
सागर बस स्थिर एक समान
प्रेरित करती मुझे सर्वदा,
रहो जीवन में तुम गतिशील,
देखना फिर उसके परिणाम।
राह में जो भी हों अवरोध,
स्वयम् हट जायें बिना प्रयास।
अन्यथा पानी का यह वेग,
तोड़ देगा, पर्वत चट्टान।
नदी तो रहती है गतिमान,
डा० हरिमोहन गुप्त
सागर बस स्थिर एक समान
प्रेरित करती मुझे सर्वदा,
रहो जीवन में तुम गतिशील,
देखना फिर उसके परिणाम।
राह में जो भी हों अवरोध,
स्वयम् हट जायें बिना प्रयास।
अन्यथा पानी का यह वेग,
तोड़ देगा, पर्वत चट्टान।
नदी तो रहती है गतिमान,
डा० हरिमोहन गुप्त
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