Monday, 7 May 2018

नदी

नदी अन्त तक रहती है गतिमान
सागर बस स्थिर एक समान
 प्रेरित करती मुझे सर्वदा,
 रहो जीवन में तुम गतिशील,
 देखना फिर उसके परिणाम।
 राह में जो भी हों अवरोध,
 स्वयम् हट जायें बिना प्रयास।
 अन्यथा पानी का यह वेग,
 तोड़ देगा, पर्वत चट्टान।
 नदी तो रहती है गतिमान,

              डा० हरिमोहन गुप्त 

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