पहले भारतवर्ष में वर्ण भेद की समस्या गुरुतर थी l शूद्र अंतिम स्वांस
तक अस्पर्श्य का नारकीय जीवन जीते थे , पर 14 वीं शातब्दी के मध्य में शूद्र रविदास
अग्रगण्य संतों में गिने गए l
एक महान संत एवं कवि की गौरव
गाथा एवं सन्देश , जिसने चर्मकार के घर जन्म लेकर समता का सन्देश दिया l गृहस्थ
धर्म में रहकर भक्ति का मार्ग प्रशस्त किया , समाज सुधार आन्दोलन को गति दी और
कर्म को प्रधान माना l
दलित वर्ग को ऊँचा
उठाने और बराबर पर लाने के लिए राजनैतिक लाभ और हतकन्डो को छोड़ कर वास्तव में जिसे
आवश्कता है उसकी सहायता करके उन्हें ऊँचा उठाने का प्रयास करना चाहिए तभी यह
आन्दोलन सफल हो सकेगा l
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