आगे बढना ध्येय तुम्हारा, रहे सदा जीवन ही
गतिमय,
पर्वत,नदी, झाड़, अवरोधक, पार करो तुम हो
कर निर्भय,
तुम्हें कहाँ विश्राम “पथिक” हो,”चरैवेति”
सिद्धान्त तुम्हारा,
संकल्प शक्ति उत्साहित करते, सबका जीवन ही
हो सुखमय l
निष्कंटक हो पन्थ सभी का, हो
उपलब्धि सभी को कतिपय,
“महाजनो येन गत: सा पन्था”,
शाश्वत सच केवल नहिं संशय,
रुकना नहीं बढो
तुम आगे, पा सकते हो अपनी मन्जिल,
रहो प्रदर्शक सदा पन्थ के, केवल यहाँ यही है परिचय l
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