Monday 28 May 2018

कटा अंगूठा


   महाभारत के एक पात्र एकलव्य की गुरुभक्ति पर अधिकतर लेखकों ने लिखा है पर अँगूठा कट जाने के बाद उसकी मनः दशा क्या रही होगी इस पर लिखा यह काव्य अपना अलग स्थान रखता है l
     आज ‘अर्जुन’ , ‘द्रोणाचार्य’ सम्मान तो मिलते हैं पर एकलव्य जैसे पात्र को भी सम्मानित किया जाना चाहिए इस ओर शासन का ध्यान आकृष्ट किया है l
              “अग्रिम पंक्ति न मिल पाए बस वह तो रहा  उपेक्षित ,
              शिष्य न माना तदपि दक्षिणा, फिर क्यों रही अपेक्षित l
                             एकलव्य के प्रश्न शान्ति सुख, छीने हैं यह अनुभव,
                             अनउत्तरित यदि बने रहे तो,प्रगति नहीं है सम्भव l

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